धर्म: लैलतुल-जाएज़ा – इनाम वाली रात
ब्यूरो (मोहम्मद खुर्शीद अकरम सोज़)। रमज़ान के महीने की आख़री रात या चाँद रात की बड़ी अहमियत है । इस रात को “लैलतुल-जाएज़ा ” अर्थात “ इनाम वाली रात " भी कहा जाता है। इसकी अहमियत को वाज़ह (स्पष्ट) करते हुए मुसनद-ए-अहमद में हज़रत अबू हुरैरा की एक तवील रिवायतआई है , “नबी करीम ﷺ फ़र्माया कि मेरी उम्मत को रमज़ान में पाँच चीज़ें ऐसी दी गई हैं जी इस से पहले किसी उम्मत को नहीं दी गई हैं :-
रोज़ेदार के मुँह की भभक अल्लाह त’आला के नज़दीक मुश्क की ख़ुशबू से ज़्यादा पाकीज़ा है।
इफ़्तार तक फ़रिश्ते रोज़ेदारों के लिए इसतग़फ़ार करते रहते हैं।
अल्लाह त’आला रोज़ाना जन्नत को मुज़य्यन करते हैं (सजाते हैं ) और फ़र्माते हैं कि अंक़रीब मेरे नेक बंदे अपने ऊपर से मेहनत और तक्लीफ़ को उतार फेंकेंगे और तेरे पास आयेंगे।
इस महीने में सरकश श्यातीन को जकड़ दिया जाता है। लिहाज़ा ग़ैर-रमज़ान में इन्हें जो आज़ादी हासिल होती है वो इस महीन...